सांसदों, विधायकों व कर्मचारी महासंघो की अनुशंषा को अनदेखा करने का आरोप
बूंदी। राज्य सरकार ने 2011 में संगठन की मांग पर निर्णय कर प्रतिवर्ष 12 मई अंतराष्ट्रीय नर्सेज दिवस पर राजधानी जयपुर में प्रान्तीय समारोह आयोजित कर राज्य के उत्कृष्ठ कार्य करने बाले नर्सेज को सम्मानित करती रही है।
इस बार पूरे राज्य में कोविड महामारी में राज्य के नर्सेज जानमाल की परवाह किये बिना पूरे मनोयोग से जुटे हुए है जिनके अदम्य साहसी कार्य की सर्वस्त्र प्रसंषा के साथ 100 अधिक जनप्रतिनिधियों, समाज सेवी संस्थाओं और अन्य कर्मचारी संगठनों ने भी सराहना करते हुए पदनाम देहली के समान नर्सिंग ऑफिसर कर प्रोत्साहित करने की मांग की थी जो संगठन की बहुप्रतीक्षित मांग है।
परंतु राज्य सरकार द्वारा नर्सेज दिवस के मौके पर कोविड-19 के इस दौर में अपने जीवन को दांव पर लगाकर रोगी सेवा में अग्रिम पंक्ति के कोरोना वॉरियर्स की अनदेखी कर कोई निर्णय नही किया। जिससे राज्यभर के नर्सेज संवर्ग में निराशा और असंतोष का वातावरण बन गया है जिससे निकट भविष्य में और गंभीर होते कोरोना दौर में मानसिक रूप से विचिलित नर्सेज की कार्य दक्षता यदि प्रभावित होती है तो ये जनहित में नही होगा।
संगठन के जिलाध्यक्ष अंकित दाधीच एव संघटन के कोटा संभाग संयोजक अनीस अहमद आदि ने बताया कि राज्य की नर्सेज सरकार से कोई वितीय प्रोत्साहन की मांग नही कर रही थी, हमारी मांग पूर्णतया गैरवितीय नर्सेज संवर्ग के मान सम्मान से जुड़ी हुई है। कोविड -19 महामारी के इस दौर में नर्सेज आंदोलन करके आमजन को परेशान व दुखी नही करना चाहते है परंतु सरकार अपने अड़ियल व संवेदनहिन रवैया अनुचित है, जिससे यदि नर्सेज उद्वेलित होती है तो रोगी सेवाएं प्रभावित होंगी जिसके लिए राज्य सरकार ही जबाब देह होगी। संगठन द्वारा मुख्यमंत्री चिकित्सा मंत्री और मुख्य सचिव से जल्द कार्यवाही की मांग की है।