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कोटा मंडल चिकित्सालय में रेल परिवार का इलाज हो ना की कोरोना मरीज का

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कोटा 27 मई। वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में कोरोना संक्रामक रोग फैल रहा है जिसके बचाव में पूरे रेल कर्मचारी तन्मयता से कार्य कर रहे है, जिसमें कोविड-19 के तहत कोरोना एडवाईजरी के द्वारा बचाव के लिये सोशल डिस्टेसिंग, मास्क एवं सेनेटाईजर्स का उपयोग ही इसका बचाव व रोकथाम है। परन्तु कोटा मंडल में मंडल चिकित्सालय में रेल कर्मचारी एवं उनके परिवार के लिए इस संबंध में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने कहा कि कोटा मंडल चिकित्सालय जो कि रेलवे कॉलोनी के बीच घनी आबादी में स्थित है का कुछ भाग कोरोना पोजिटिव मरीजों के लिये आरक्षित किया जा रहा है एवं कोटा में लगभग 15 से 20 हजार रेल कर्मचारी, उनके परिवारजन एवं सेवानिवृत कर्मचारी रेल चिकित्सालय से जुड़े हुये है जो कि दिन प्रतिदिन की दवाईयां लेते है एवं इलाज करवाते है।

परन्तु कोरोना पोजिटिव मरीजों के लिये मंडल चिकित्सालय को आरक्षित करने के साथ दिन प्रतिदिन के मरीजों को बाहय रोग हेतु एक कमरे के उप स्वास्थ्य केन्द्र में स्थानान्तरित किया गया है। वहां का दृश्य इस तरह का है कि एक मरीज भी कोरोना पोजिटिव हो गया तो निश्चित तौर से पूरा रेल परिवार इससे प्रभावित होगा। इस उप चिकित्सालय में सुबह नौ बजे से तीन बजे तक मरीजों को भीड़ देकर एवं 48 डिग्री तापमान देखते हुये वापस ही निराश लौटना पड़ता है ना तेा मरीजों को खड़े होने के लिये छाया, बैठने के लिये बैंच, और पूरी तरह से सभी डाक्टर्स के लिये अलग अलग कमरे इंजेक्शन रूम, दवा वितरण कमरे भी एक ही जगह है।

कोरोना संक्रमण का खतरा 
ऐसी परिस्थिति में मरीजों को खड़े रहना सोशल डिस्टेन्स मेन्टेन करना संभव नहीं है। इसी के साथ रेल चिकित्सालय में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ, फार्मेसी स्टाफ एवं अन्य सभी स्टाफ सोशल डिस्टेन्स मेन्टेन नहीं  कर पा रहा है। इस डिस्पेन्सरी के आसपास रेलवे के अलावा भी बाहरी व्यक्तियों का भी आना जाना लगा रहता है जो कि मरीजों की भीड़ को संक्रमित कर सकता है।

इन सारी परिस्थितियों को देखते हुये रेलकर्मचारियों एवं परिवारजनों को तुरन्त प्रभाव से इलाज के लिये मंडल रेल चिकित्सालय खोला जाये जो कि एक रेलवे कॉलोनी की घनी आबादी के बीच में है यदि इसमें कोई कोविड-19 मरीज को भर्ती किया जाता है तो एक किमी. के दायरे तक कर्फ्यू लग जायेगा जिसमें हजारों रेलकर्मचारी क्वारंटाईन हो जायेगें। जिससे रेलवे का कार्य बुरी तरह प्रभावित हो जायेगा। अतः आपका ध्यान आकर्षित किया जाता है

गालव ने बताया कि तुरन्त प्रभाव से मंडल चिकित्सालय को रेलकर्मचारियों के लिये पुनः चालू किया जाये एवं  जिस तरह से जयपुर में ईएसआई हॉस्पिटल को कोविड-19 से अधिग्रहण नहीं किया गया है उसी तरह मंडल रेल चिकित्सालय को कोविड-19 के लिये आरक्षित नहीं किया जाये। यदि किसी भी मरीज को इन समस्याओं का सामना करना पड़ा तो ऐसी स्थिति में मजबूरन यूनियन को कोई कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।

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